नई दिल्ली: सौरव गांगुली ने टीम इंडिया को ऐसे मुकाम पर पहुंचाया जो देश ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी जीतना जानती थी. गांगुली की कप्तानी में ही टीम इंडिया 1983 के बाद 2003 में वर्ल्डकप के फाइनल तक पहुंची थी. कप्तानी के साथ गांगुली ताबड़तोड़ बल्लेबाजी में भी माहिर थे.
गांगुली ने छक्के से घायल हुआ बुजुर्ग शख्स
23 अगस्त 2002 को हेडिंग्ले टेस्ट के दूसरे दिन गांगुली ने एक जोरदार छक्का जड़ा और वह गेंद एक बुजुर्ग क्रिकेट फैन को जा लगी. दादा का वह शॉट बुजुर्ग फैन को इतनी जोर से लगा कि उनके सिर से खून बहने लगा. उस मैच में पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे गांगुली ने 128 रनों की पारी खेली, जिसमें 14 चौके और 3 छक्के शामिल थे. इंग्लैंड के खिलाफ यह मैच भारत ने पारी और 46 रन से जीता था.
स्टाइलिश बल्लेबाज थे सौरव गांगुली
आपको बता दें कि सौरव गांगुली ने 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले ही टेस्ट में शतक जड़कर अपने टेस्ट करियर जोरदार आगाज किया था. उन्होंने 49 टेस्ट और 147 वनडे मैचों में भारत की कप्तानी की. बाएं हाथ के स्टाइलिश बल्लेबाज सौरव गांगुली ने अपने करियर में 113 टेस्ट मैचों में 42.14 की औसत से 7213 रन बनाए, जिनमें 16 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं.
ऐसा रहा गांगुली का करियर
वहीं 311 वनडे मैचों में उन्होंने 41.02 की औसत से 11363 रन बनाए, जिनमें 22 शतक और 72 अर्धशतक शामिल हैं. गांगुली की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम चैंपियंस ट्रॉफी 2001 (श्रीलंका) और 2003 वर्ल्ड कप (दक्षिण अफ्रीका) के फाइनल में पहुंची. इसके अलावा भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ 2002 में नेट वेस्ट सीरीज जीती जिसके बाद उन्होंने लॉर्ड्स की बालकनी में कमीज उतारकर लहराई थी. गांगुली ने 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज के दौरान क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. वर्तमान में वह क्रिकेट असोसिएशन ऑफ बंगाल के अध्यक्ष हैं.
Source link