कोरोना महामारी का साया ओलंपिक के आयोजन पर भी लगातार नजर आ रहा है. बीमारी की दूसरी लहर ने जिस प्रकार से पूरी दुनिया में पैर फैलाए हैं उसके बाद ओलंपिक के आयोजन को लेकर संदेह लगातार बना हुआ है. इस बीच ओलंपिक के आयोजक जापान के प्रधानमंत्री के सुर भी बदले नजर आ रहे हैं. जापान में हाल ही में हुए सर्वे में जनमत ओलंपिक आयोजन के विरोध में नजर आ रहा है. ओपिनियन पोल के मुताबिक जापान की करीब 60 फीसदी जनता नहीं चाहती की वर्तमान परिस्थितियों में ओलंपिक का आयोजन किया जाए. इसी ओपिनियन पोल के साथ ही जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने भी बयान जारी कर कहा है कि उन्होंने कभी ओलंपिक को सबसे पहले नहीं रखा.
जापान में टीकाकरण की रफ्तार धीमी
जापान में भी कोविड का संक्रमण बढ़ता दिखाई दे रहा है. इसे देखते हुए टोक्यो शहर में आपातकाल की स्थिति को मई माह के अंत तक के लिए बढ़ा दिया है. जापान में कोरोना टीकाकरण की रफ्तार भी विश्व के धनी देशों के मुकाबले काफी कम है. ऐसे में ये सवाल यहां लगातार उठ रहा है कि क्या ऐसी परिस्थिति में जापान में ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जाना चाहिए.
जापानियों का स्वास्थ्य और सुरक्षा सबसे पहले
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक अधिकारियों, टोक्यो ओलंपिक के योजनाकर्ताओं और खुद योशिहिदे सुगा ने ओलंपिक का आयोजन ‘safe and secure’ तरीके से किए जाने की बात कही थी. इसके लिए विदेशी दर्शकों पर प्रतिबंध सहित कोरोना से बचाव के लिए कई तरह के नियम-कायदे लागू किए जाने थे. लेकिन ओपिनियन पोल के बाद सुगा ने कहा- “मेरे लिए ओलंपिक पहली प्राथमिकता नहीं है. मेरी प्राथमिकता जापानियों के स्वास्थ्य और जीवन की सुरक्षा करना है. हमें सबसे पहले वायरस का संक्रमण फैलने से रोकना है.”
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