ब्रिटेन की अदालत ने भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या को मंगलवार को झटका लगा है. यूके हाईकोर्ट में दिवालियापन याचिका मामले में विजय माल्या की हार हुई है. इसके बाद अब उससे पैसे वसूल करने में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया महज एक कदम की दूरी पर है.
गौरतलब है कि इससे पहले भारतीय स्टेट बैंग के नेतृत्व में एक कंसोर्टियम ने अप्रैल में लंदन हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान भगोड़े व्यवसायी को दिवालिया घोषित किए जाने की पुरजोर कोशिश की थी. विजय माल्या पर बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए लिए गए ऋण के हजारों करोड़ रुपये बकाया है.
विजय माल्या का यह कहना था कि उसके ऊपर जो कर्ज बकाया है वे जनता का पैसा है. ऐसे में बैंक से दिवालियापन घोषित नहीं कर सकते हैं. इसके साथ ही माल्या ने यह भी दावा किया था कि भारतीय बैंकों की तरफ से दायर दिवालियापन याचिका कानून के दायरे से बाहर है. क्योंकि भारत में उनकी संपत्ति की सिक्योरिटी पर नहीं लगा सकते क्योंकि यह भारत में जनता के हित के खिलाफ है.
मुख्य दिवालिया एवं कंपनी अदालत (आईसीसी) में न्यायाधीश माइकल ब्रिग्स के समक्ष एक आभासी सुनवाई में दोनों पक्षों ने पिछले साल दायर दिवालिया याचिका में संशोधन के बाद मामले में अपनी अंतिम दलीलें दीं. एसबीआई के अलावा बैंकों के इस समूह में बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉरपोरेशन बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जेएम फाइनेंशियल एसेट रिकंसट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं. जज ब्रिग्स ने कहा था कि वह अब विवरणों पर विचार करेंगे और आने वाले हफ्तों में उचित समय पर निर्णय देंगे.
गौरतलब है कि विजय माल्या अपनी दिवालिया किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण को जानबूझ कर न चुकाने के आरोपी हैं.
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