Vinayak Chaturthi 2021 : विनायक चतुर्थी कल, इन उपायों को करने से मिलेगा गणपति महाराज का आर्शीवाद, विघ्न- बाधाएं होंगी दूर

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शुक्रवार, 15 अप्रैल 2021 को विनायक चतुर्थी है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में दो बार चतुर्थी आती है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा के बाद ही होती है। विनायक चतुर्थी का व्रत रखने से प्रथम पूजनीय गणपीत महाराज की कृपा प्राप्त होती है और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं विघ्नहर्ता गणेश जी को खुश करने के आसान उपाय….

दूर्वा घास

  • भगवान गणेश को दूर्वा घास काफी पसंद होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति गणपती महाराज को दूर्वा अर्पित करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। विनायक चतुर्थी के पावन दिन गणपती महाराज को दूर्वा अर्पित करें। भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करने से आर्थिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।

मोदक

  • गणेश जी को प्रसन्न करने का सबसे आसान उपाय है मोदक का भोग। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश को मोदक बहुत अधिक पसंद हैं। जो व्यक्ति गणेश जी को मोदक का भोग लगाता है, गणपति उसकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। धार्मिक शास्त्रों में मोदक को ब्रह्म के समान बताया है।

घी से करें गणेश जी की पूजा

  • भगवान गणेश की पूजा में घी को जरूर शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घी को पुष्टिवर्धक और रोगनाशक कहा जाता है। भगवान गणेश को घी काफी पसंद है। जो व्यक्ति भगवान गणेश की पूजा घी से करता है उसकी बुद्धि प्रखर होती है। 

गणेश जी को सिंदूर लगाएं

  • गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें सिंदूर का तिलक भी अवश्य लगाएं। भगवान गणेश को तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। ऐसा करने से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।

भगवान गणेश की पूजा का महत्व

  • धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गणेश जी विघ्नहर्ता यानी सभी परेशानियों को दूर करने वाले हैं। 
  • गणेश जी की पूजा- अर्चना करने से ग्रहदोषों से भी मुक्ति मिल जाती है। 
  • विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की विधि- विधान से उपासना करने से सुख- सौभाग्य की प्राप्ति होती है और  विघ्न- बाधाएं दूर हो जाती हैं।

इस मंत्र का जप करें…
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

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