जरा सोचिए, आपके पड़ोस में दो परिवार हैं—एक के पास नई कार है, दूसरा सिर्फ साइकिल। यही असमानता का एक आम चेहरा है। असमानता सिर्फ पैसे की बातें नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, अवसर और सामाजिक सम्मान में भी दिखती है। तो फिर, इस असमानता के पीछे क्या कारन हैं और हम इसे कैसे कम कर सकते हैं?
पहला कारण है शिक्षा का अंतर। जब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण स्कूल नहीं मिलते, तो उनकी नौकरी के मौके सीमित रह जाते हैं। दूसरा कारण है आर्थिक नीति—जैसे बड़े कंपनियों को टैक्स में कमी, जबकि छोटे व्यापारियों को भारी बोझ उठाना पड़ता है। सामाजिक मानदंड भी बड़ी भूमिका निभाते हैं; लिंग, जाति या समुदाय के आधार पर भेदभाव अक्सर असमानता को बढ़ाता है। इन सब कारणों का मिलाजुला प्रभाव लोगों को आगे बढ़ने से रोकता है।
असमानता को घटाने के लिए बड़े बदलाव जरूरी तो हैं, पर रोज़मर्रा के छोटे कदम भी काफी मददगार होते हैं। आप अपने इलाके में मुफ्त ट्यूशन क्लासेज़ की पहल कर सकते हैं या स्थानीय स्वास्थ्य कैंप आयोजित कर सकते हैं। अगर आप किसी कंपनी में काम करते हैं, तो रोजगार के दौरान समान वेतन और प्रोमोशन की नीति दबाव में रखें। सरकार के लिए बेहतर कदम है कि वह शिक्षा और स्वास्थ्य पर अधिक खर्च करे और छोटे उद्योगों को सस्ता ऋण दे।
एक और असरदार तरीका है जागरूकता फैलाना। सोशल मीडिया पर असमानता के मामलों को शेयर करें, लोकल न्यूज़ में लिखें और लोगों को उनके अधिकारों के बारे में बताएं। जब लोग समस्या देखेंगे और समझेंगे, तो वही पहला कदम होगा बदलाव की ओर।
अंत में, याद रखें कि असमानता को खत्म करना एक दिन का काम नहीं। लेकिन जब हर कोई थोड़ा‑थोड़ा मदद करे, तो बड़ा अंतर जरूर दिखेगा। आप भी अपनी छोटी सी पहल से समाज में समानता की राह बना सकते हैं। बस, शुरू करें—क्योंकि असमानता का समाधान आपके हाथ में ही है।
भारत में अनेक लोगों को देश और उसके नागरिकों की नफरत होने की समस्या है। इसके कई कारण हैं जैसे की भारत में भेदभाव, जातिवाद और अन्य आदि समुदायों के बीच की उल्लंघन, असमानता, अन्य देशों के साथ तनाव, देश की आरक्षण की कुशलता और देश के साथ आने वाले विदेशी लोगों के विरोध।