हर घर में खाने की बात आती है तो सबसे पहले ज़रूरत पड़ती है – क्या आज़ादी से खा रहे हैं या ख़तरे में? खासकर रात को बचा हुआ भोजन या बाहर से लाए गए सामान पर अक्सर सवाल उठते हैं. इस लेख में हम रोज़मर्रा के साधारण सवालों के जवाब देंगे और आपको आसान उपाय बताएंगे, ताकि आप अपने परिवार को स्वस्थ रख सकें.
आमतौर पर कई लोग रात के खाने के बाद बचा हुआ खाना फ्रिज में रख देते हैं. लेकिन क्या यह हमेशा सुरक्षित रहता है? अगर खाना ठीक से ठंडा नहीं किया गया या भण्डारण पात्र साफ नहीं है, तो बैक्टीरिया जल्दी से बढ़ सकते हैं.
सबसे पहले, खाए गए खाने को कम से कम दो घंटे के भीतर रेफ्रिजरेटर में रखना चाहिए. अगर बाहर का तापमान बहुत गर्म है, तो इस समय को एक घंटे तक घटा दें. खाना ठंडा करने के लिए बर्तन को ठंडे पानी में रख सकते हैं, फिर फ्रिज में डालें.
फ्रिज का तापमान 4°C से नीचे होना चाहिए. अगर आप देखेंगे कि आपका फ्रिज अक्सर खुलता-बंद होता है, तो खाना जल्दी बर्बाद हो सकता है. इसलिए, खाने को छोटे भागों में पॅक करें, ताकि जल्दी ठंडा हो और दोबारा गरम करना आसान रहे.
जब आप बचा हुआ खाना फिर से खाएँ, तो उसे पूरी तरह से गरम करें – कम से कम 75°C तक. इससे अधिकांश हानिकारक जीवाणु मार जाएंगे. अगर खाना बुई या बदबूदार लगे, तो फेंक देना ही बेहतर है.
खाना बनाते समय साफ-सफाई सबसे बड़ी भूमिका निभाती है. कटिंग बोर्ड, चाकू, बर्तन को हर उपयोग के बाद गर्म पानी और साबुन से धोएँ. अगर संभव हो तो अलग-अलग बोर्ड का उपयोग करें – एक सब्ज़ियों के लिए, एक मांस के लिए.
बाजार से सब्ज़ियां या फल खरीदते समय साफ धूप में धोलें. गंदे पानी या कच्चे धूप नहीं, बल्कि साफ पानी से धोना ही पर्याप्त है. अगर आप घरेलू जूस बनाते हैं, तो तुरंत पी लें या फ्रिज में रखें.
भोजन को पकाते समय तेल या घी को बहुत गर्म न करें. बहुत ज्यादा धुएँ से हानिकारक पदार्थ बनते हैं, जो खाने में मिल सकते हैं. हल्का गर्म करके, सही समय पर पकाना ही सबसे अच्छा तरीका है.
हर हफ़्ते एक बार रिफ्रिजरेटर और फ्रीज़र को डीफ़्रॉस्ट करें. बासी बर्फ या बर्फ़ीले बर्तन खाने में मिलकर बुरे स्वाद और बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं.
एक बात और – खाने को बचाते समय किसी भी प्रकार का प्लास्टिक रैप या बर्तन उपयोग न करें अगर वह पॉलीथीन आधारित नहीं है. कुछ प्लास्टिक में हानिकारक रसायन होते हैं, जो खाना गरम करते समय निकलते हैं.
इन छोटे-छोटे कदमों से आपका भोजन न केवल स्वादिष्ट रहेगा, बल्कि पूरी सुरक्षा के साथ भी. याद रखें, स्वास्थ्य हमारी रोज़मर्रा की आदतों पर निर्भर करता है, और साफ़-सफ़ाई, सही भंडारण और उचित गरम करने का तरीका ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है.
भारत में रात को छोड़ना एक प्राचीन तरीका है। यह आम तौर पर खाने का समय है और इसके साथ ही सुरक्षा की भी जरूरत है। भारतीय खाने का समय रात ही है और यह एक अच्छी तरह से सुरक्षित है। इसमें पौष्टिक तत्व होते हैं और इससे शरीर को पोषण भी मिलता है। इसके अलावा, रात के समय अधिकतर लोग अपने रोजगार के कार्यों को समाप्त कर लेते हैं और सुबह तक उठते नहीं होते हैं। ऐसे में रात को छोड़ना सुरक्षित है और शरीर को पोषण भी मिलता है।