नफरत हर जगह मिलती है – चहेते दोस्त से लेकर अनजान लोगों तक, ऑनलाइन चैट से लेकर सड़क पर। लेकिन अगर हम इसे समझें और सही उपाय अपनाएँ तो इसे अपने जीवन में कम कर सकते हैं। इस लेख में हम बात करेंगे कि नफरत क्यों होती है, उसके क्या असर होते हैं और आप रोज़मर्रा में क्या‑क्या कर सकते हैं ताकि यह आपके ऊपर हावी न हो।
सबसे पहले, यह जानना ज़रूरी है कि नफरत अकसर दो चीज़ों से निकलती है – डर और गलत जानकारी। जब कोई लोगों को समझ नहीं पाता, तो वह अपने डर को नफरत में बदल देता है। सोशल मीडिया पर बिना जांचे‑झांचे खबरें फैलाने से भी नफरत का फंडा बन जाता है। बचपन में मिली चोट, सामाजिक असमानता या आर्थिक तनाव भी नफरत को बढ़ावा देते हैं। इसलिए जब भी आपका मन गुस्से या उलझन में हो, एक बार खुद से पूछें – क्या यह डर की वजह से है या कोई गलतफहमी?
1. सोशल मीडिया डिटॉक्स – दिन में कम से कम एक घंटे अपनी स्क्रीन से दूर रहें। यह आपके दिमाग को रीसेट करता है और नकारात्मक टिप्पणी या ट्रोलिंग से बचाता है।
2. सही जानकारी पर भरोसा – कोई भी खबर पढ़ते समय दो‑तीन विश्वसनीय स्रोतों की जाँच करें। अगर स्रोत अनजान है तो उसे शेयर मत करो।
3. संवाद को खुला रखें – जब कोई बात आपसे नफ़रत भरी लगती है, तो सवाल पूछें, सुनें और समझने की कोशिश करें। कई बार सिर्फ़ एक सवाल ही गलतफ़हमी को साफ कर देता है।
4. क़ानून का सहारा – भारत में नफरत भरे शब्दों या हिंसा को आपराधिक माना गया है (धारा 351)। अगर आप या आपके proches पर नफरत का हमला हुआ हो, तो तुरंत पुलिस को रिपोर्ट करें।
5. स्वस्थ मन‑शरीर – योग, मेडिटेशन या सरल सांस‑लेने के व्यायाम तनाव घटाते हैं, जिससे नफरत के विचार कम होते हैं। रोज़ 10‑15 मिनट का अभ्यास बड़ा फ़ायदा दे सकता है।
इन छोटे‑छोटे कदमों को अपनाकर आप न सिर्फ़ खुद को, बल्कि अपने आसपास के लोगों को भी नफरत से बचा सकते हैं। याद रहे, नफरत एक भाव है, उसे बदलना हमारे हाथ में है। अगर आप चाहें तो अपने दोस्त या परिवार को भी इन टिप्स से परिचित कराएँ – मिल‑जुल कर ही हम एक दोस्ताना समाज बना पाएँगे।
तो अगली बार जब आप किसी आग्रही टिप्पणी या थ्रेड को देखेंगे, तो तुरंत उत्तर नहीं दें। रुकें, सोचें, और ऊपर बताये गये उपायों में से एक को अपनाएँ। यही छोटा‑छोटा बदलाव बड़े बदलाव की शुरुआत है।
भारत में अनेक लोगों को देश और उसके नागरिकों की नफरत होने की समस्या है। इसके कई कारण हैं जैसे की भारत में भेदभाव, जातिवाद और अन्य आदि समुदायों के बीच की उल्लंघन, असमानता, अन्य देशों के साथ तनाव, देश की आरक्षण की कुशलता और देश के साथ आने वाले विदेशी लोगों के विरोध।